2023 – Hindi
SECTION – I
I. प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए।
(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में लिखिए।
सन् 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए बनी समिति के आप अध्यक्ष चुने गए। भारत के प्रथम विधिमंत्री भी नियुक्त हुए। आपने संविधान में दलितों, पीड़ितों और निम्न वर्गों के लिए अनेक विधियों की रचना में विशेष भूमिका निभा कर सभी को समान रूप से न्याय दिलाने के अनुकूल संविधान का निर्माण किया।
डॉ. अंबेड्कर मेधावी, न्यायशास्त्र के पारंगत, समाज सुधारक, सहृदयी और समता-ममता से पूरित मानवतावादी थे। आपने अनेक ग्रंथों की रचना की। आपका विश्वास है कि जात-पात रहित सम-समाज से ही देश में सुख शांति की स्थापना हो सकती है।
प्रश्न:
- भारत कब स्वतंत्र हुआ?
- संविधान की रचना के लिए बनी समिति के अध्यक्ष कौन थे?
- अंबेड्कर कैसे व्यक्ति थे?
- अंबेड्कर का विश्वास क्या था?
- यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर:
- भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ।
- संविधान की रचना के लिए बनी समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे।
- डॉ. अंबेड्कर मेधावी, न्यायशास्त्र के पारंगत, समाज सुधारक, सहृदयी और मानवतावादी थे।
- डॉ. अंबेड्कर का विश्वास था कि जात-पात रहित सम-समाज से ही देश में सुख शांति की स्थापना हो सकती है।
- यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(आ)निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस, भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है। इसकी स्थापना सन् 1914 में कलकत्ता में अंग्रेज वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी। प्रतिवर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में इसका सम्मेलन देश के अलग-अलग शहरों में होता है। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देना है।
इस संस्था के सदस्य वैज्ञानिक ही होते हैं। प्रारंभ में 105 वैज्ञानिक सदस्य थे किंतु अब हज़ारों वैज्ञानिक इस संस्था के सदस्य हैं।
इस वर्ष 108 वाँ भारतीय विज्ञान कांग्रेस का आयोजन नागपुर में किया गया।
प्रश्न:
- वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था का नाम क्या है?
- भारतीय विज्ञान कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
- इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य क्या है?
- अब कितने वैज्ञानिक इसके सदस्य हैं?
- 108 वाँ सम्मेलन कहाँ आयोजित हुआ?
उत्तर:
- वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था का नाम भारतीय विज्ञान कांग्रेस है।
- भारतीय विज्ञान कांग्रेस की स्थापना 1914 में हुई थी।
- इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देना है।
- अब हज़ारों वैज्ञानिक इसके सदस्य हैं।
- 108 वाँ सम्मेलन नागपुर में आयोजित हुआ।
- निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।
(इ)निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।
तेरी आँखों में तैरते ये समुंदर ये आसमान के अक्स मैंने देख लिए हैं माँ।
माँ —- जा सकती हूँ मैं दूर पार उस झिलमिलाती दुनिया में ला सकती हूँ वहाँ से चमकीले टुकड़े तेरे सपनों के, समुंदर की लहरों के थपेड़ों में ढूँढ सकती हूँ मैं मोती और सीपी और नाविकों के किस्से। कर सकती हूँ माँ, मैं सब कुछ जो रोशनी-सा चमकीला रंगों-सा चटकीला हो, पर आने तो दे, डर मत माँ —- मुझे आने दे।
प्रश्न:
- अजन्मी लड़की का संबोधन किससे है?
- लड़की ने माँ की आँखों में क्या देखा?
- झिलमिलाती दुनिया से लड़की क्या ला सकती है?
- समुंदर की लहरों के थपेड़ों में क्या होता है?
- इस पद्यांश की कवयित्री का नाम लिखिए।
उत्तर:
- अजन्मी लड़की का संबोधन “माँ” से है।
- लड़की ने माँ की आँखों में समुंदर और आसमान के अक्स देखे हैं।
- झिलमिलाती दुनिया से लड़की चमकीले टुकड़े (अपने सपनों के टुकड़े) ला सकती है।
- समुंदर की लहरों के थपेड़ों में मोती और सीपी और नाविकों के किस्से होते हैं।
- इस पद्यांश की कवयित्री का नाम मैत्रेयी पुष्पा है।
SECTION – II
(अ)निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 3-4 पंक्तियों में लिखिए।
- सुमित्रानंदन पंत के बारे में आप क्या जानते हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
सुमित्रानंदन पंत हिंदी के एक महान कवि थे। वे छायावाद के प्रमुख स्तंभों में से एक थे और उनकी कविताओं में प्रकृति, प्रेम और मानवता का विशेष स्थान है। उनकी लेखनी में एक अनूठी काव्यात्मकता और भावनाओं की गहराई पाई जाती है। पंत जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से जीवन के सुंदरतम पक्षों को उजागर किया। उनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियाँ जैसे “चिदम्बर” और “हिमालय” ने उन्हें साहित्य जगत में विशेष पहचान दिलाई। उनके साहित्य में भारतीय संस्कृति और पारंपरिक मूल्य महत्वपूर्ण रहे हैं।
- कवि रैदास ने स्वयं को मोर एवं चकोर क्यों माना होगा?
कवि रैदास ने स्वयं को मोर और चकोर से तुलना की है, जो प्रेम और भक्ति के प्रतीक हैं। मोर अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और चकोर चाँद की चाँदनी में अपनी आँखें लगाता है। रैदास ने अपने कवि हृदय से ईश्वर के प्रति अपार प्रेम और समर्पण को व्यक्त किया। उनका यह संदर्भ यह दर्शाता है कि जैसे मोर चाँद के साथ अपनी आत्मीयता महसूस करता है, वैसे ही वे भी भगवान से अपनी आत्मीयता और भक्ति का संबंध जोड़ते थे। रैदास का यह रूपक, प्रेम और भक्ति के उच्चतम स्वरूप को व्यक्त करता है, जिसमें भक्ति और समर्पण के प्रति एक गहरी आसक्ति और श्रद्धा है।
- किन अवसरों पर लोकगीत गाए जाते हैं?
लोकगीत आमतौर पर विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक अवसरों पर गाए जाते हैं। ये गीत जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करते हैं। कुछ प्रमुख अवसरों पर लोकगीत गाए जाते हैं:
- विवाह समारोह: शादी के अवसर पर पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं, जिनमें विवाह की खुशी और रिश्तों के महत्व को दर्शाया जाता है।
- त्योहारों पर: जैसे होली, दिवाली, और मकर संक्रांति जैसे त्योहारों पर खुशियों और उल्लास के गीत गाए जाते हैं।
- फसल के मौसम में: कृषि से जुड़े अवसरों पर भी लोकगीत गाए जाते हैं, जैसे कि बुआई या कटाई के समय।
- समाज और संस्कृति का उत्सव: सामाजिक आयोजनों में जैसे मेला, ग्रामीण उत्सव आदि में भी लोकगीत गाए जाते हैं।
- लेखक को गोदावरी के दर्शन की अनुभूति कैसी रही?
लेखक को गोदावरी के दर्शन से गहरी आध्यात्मिक और मानसिक शांति की अनुभूति हुई। गोदावरी नदी को उन्होंने एक पवित्र और जीवनदायिनी धारा के रूप में देखा। नदी के किनारे का दृश्य उनके लिए प्रकृति के साथ गहरे जुड़ाव का प्रतीक था। उन्हें गोदावरी के दर्शन से यह अनुभव हुआ कि यह नदी न केवल प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष स्थान है। गोदावरी की निर्मल धारा और उसके आसपास का परिवेश लेखक को आत्मिक शांति और शुद्धता का अनुभव करा रहे थे, जो उनके लेखन में भी झलकता है।
- “दिनकर ने मज़दूरों को समाज का महत्वपूर्ण अंग माना है।” कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
दिनकर जी की कविता “मज़दूर” में उन्होंने मज़दूरों को समाज का एक महत्वपूर्ण अंग माना है। कविता के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि समाज की प्रगति और समृद्धि में मज़दूरों का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे समाज के असली नायक हैं क्योंकि वे अपनी मेहनत से धरती को समृद्ध बनाते हैं। दिनकर जी ने यह बताया कि जिनकी मेहनत से हम जीवन की सुविधाओं का आनंद लेते हैं, उन श्रमिकों का सम्मान करना चाहिए। उनका संघर्ष समाज के विकास में मदद करता है, और उनके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। दिनकर ने यह कविता लिखकर समाज में श्रमिक वर्ग के योगदान की अहमियत को उजागर किया और उनकी मेहनत की सराहना की।
- बिहारी के दोहों से हमें क्या संदेश मिलता है?
बिहारी के दोहे संस्कृत साहित्य की महान धरोहर माने जाते हैं। उनके दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी दृष्टि रखते हैं और उनके माध्यम से वे हमें जीवन की सच्चाई और नैतिकता की शिक्षा देते हैं। उनके दोहों से हमें यह संदेश मिलता है कि:
- जीवन के हर पहलू में संतुलन बनाए रखें।
- किसी भी कार्य को ईमानदारी और निष्ठा से करें।
- मोह और माया से ऊपर उठकर सच्चाई का मार्ग अपनाएं।
- एक सरल और संयमित जीवन जीने से ही सच्ची खुशी मिलती है। उनके दोहे समाज को सही दिशा दिखाने के लिए उपयोगी और प्रेरणादायक हैं।
- हामिद कैसे स्वभाव का लड़का था? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
हामिद एक नेक, ईमानदार और समझदार लड़का था, जिसकी जीवन की कठिनाइयों के बावजूद अच्छाई के प्रति विश्वास था। “हामिद और उसकी मां” कहानी में हामिद ने अपनी माँ के लिए बिना किसी स्वार्थ के एक ऐसी चीज़ खरीदी, जिसकी उसे सबसे ज़्यादा जरूरत थी – आग के लिए लकड़ी। वह अपनी माँ के लिए जो कुछ भी कर सकता था, करता था। जब उसकी माँ ने उसे मिठाई देने के लिए पैसे मांगे तो हामिद ने अपने सभी पैसे एक चिमटे में डाल दिए, जो उसकी माँ के काम आ सके। हामिद का स्वभाव साधारण था लेकिन उसका दिल बहुत बड़ा था। उसने अपनी माँ की सेवा और अपनी स्वार्थविहीन मदद के द्वारा अपने साहस और सच्चाई का परिचय दिया।
- बाल मजदूरी की समस्या को समाप्त करने के लिए ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा दिए गए सुझावों पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने बाल मजदूरी की समस्या को समाप्त करने के लिए कई सुझाव दिए थे। उनका मानना था कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से ही इस समस्या का समाधान संभव है। वे कहते थे कि बच्चों को सिर्फ शारीरिक श्रम में न लगाकर, उन्हें मानसिक और बौद्धिक श्रम में प्रशिक्षित किया जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में प्रयास करने चाहिए। शिक्षा का स्तर बढ़ाना, बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करना और उनके लिए बेहतर अवसरों की सृष्टि करना जरूरी है। उनका यह सुझाव इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए कारगर हो सकता है, क्योंकि शिक्षा ही बच्चों का सबसे बड़ा अधिकार है।
- “पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका” विषय पर निबंध लिखिए।
पर्यावरण संरक्षण में छात्रों की भूमिका
पर्यावरण का संरक्षण आज के समय में अत्यंत आवश्यक है। बढ़ती प्रदूषण की समस्या और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग हमे यह समझाता है कि यदि हम पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाएंगे तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस संकट से बचने में छात्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सकता है। वे स्कूलों में आयोजित किए गए कार्यक्रमों में भाग लेकर पर्यावरण के महत्व को समझ सकते हैं और इसे संरक्षित करने के उपायों को अपना सकते हैं। छात्रों को वृक्षारोपण, जल संरक्षण और कचरे का पुनः उपयोग जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में भाग लेना चाहिए। इसके अलावा, वे अपने घरों और स्कूलों में साफ-सफाई बनाए रखने, प्लास्टिक का उपयोग न करने और जल का व्यर्थ उपयोग न करने जैसे कदम उठा सकते हैं।
छात्रों को यह समझाना चाहिए कि पर्यावरण केवल प्रकृति से संबंधित नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन शैली से भी जुड़ा हुआ है। अगर पर्यावरण स्वस्थ रहेगा तो हम भी स्वस्थ रहेंगे। इसलिए, छात्रों को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि वे पर्यावरण की रक्षा के लिए अपने छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा परिवर्तन लाएंगे।
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- रसगुल्ले – मीठे और मुलायम!
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